प्रिये बिहार और उत्तर प्रदेश के हमारे मित्र जन मेरे मन को कुछ दिनों से एक दो बात बहुत ही विचलित कर रखी है की कुछ लोग अपने आप को महिषासुर का वंशज बता रहे है तो वही कुछ लोग डांडिया को गुजरात का कॉपीराइट बता रहे है मुझे तो ये दुनिया का सबसे नीच हरकतों में एक जान प्रतीत हो रहा है ।
मानता हूँ कि आप गुजरात मे हुए कांड के कारण आप दुखी है पर ऐसी बातें करके की आप डांडिया नही खेलेगे बिहार और उत्तर प्रदेश में तो ये आपकी संस्कार और अल्प बुद्धि को दिखा रही है।
परंतु इस कांड के बाद जो बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ नेतागण भ्रम फैला रहे है वो देश की अखंडता और प्रभुता को बहुत ही ठेस पहुंचाने वाली चीज है ।
इससे गरीब जनता को कोई फर्क नही पड़ता कि क्या हुआ है क्या नही वो अब भी पलायन करके गुजरात मे काम करेंगे ही क्योंकि ये छोटे मोटे राजनीतिज्ञ उन्हें और उनके परिवार को स्वाभिमानी बनाकर खुद बिहार या उत्तर प्रदेश में रोजगार का हौसला और हिम्मत नही रखते है बस उल्टे सीधे बात बोलकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे पड़े है दूसरे राज्य जाकर जो भी लोग अपना रोजी रोटी चला रहे है उन्हें भड़काकर पूरे भारत मे उथल पुथल तो मचा ही सकते है पर अपनी मंशा में कामयाब कभी नही हो सकते है ।।
जहां तक महिषासुर की वंशज की बात है तो वो आपकी व्यक्तिगत मामला है आपको अपने वंशज के बारे में ज्यादा बेहतर पता होगा ।
जिसे आप गुजरात का कॉपीराइट समझ रहे है वो गुजरात का है ही नही आप गरबा और डांडिया में फर्क नही जानते तो आपको कोई हक नही है ऐसे समाज मे उन्माद फैलाने का _____!!!!!
हाँ अब आये मुद्दे पर तो जहाँ तक बात है डांडिया की तो ये गुजरात की कॉपीराइट नही है ये एक पौराणिक नृत्य है
इस नृत्य का प्रयोग सबसे पहले कृष्णा और राधा ने किया था जिसे डांडिया रास कहते है । डांडिया का अर्थ है डंडे और रास का अर्थ है लीला जो प्रभु श्री कृष्णा द्वारा किया जाता है ।
दुर्गा पूजा में डांडिया खेलना जो कि माँ भगवती और महिषासुर के बीच के युद्ध का प्रतीक है जिसमे डांडिया में प्रयोग होने वाले डंडे का प्रतीक है माँ भगवती का तलवार जिसमे औरतों को माँ भगवती का प्रतीक मानकर युद्ध का प्रतिभूति में ये नृत्य किया जाता है । जिसमे औरतें रंग बिरंगे वस्त्र और आभूषण से सुसज्जित हो ढोल,ढाक और तबला आदि के टाल पर ये नृत्य कर माँ दुर्गा की आराधना करते है और ये मात्र नृत्य नही है बल्कि ये एक ऐसी पौराणिक मान्यता है जो समाज को बतलाती है कि समाज की हर औरत मां दुर्गा की ही एक विभूति है और वो मां दुर्गा की भांति पूजनीय है ।
समाज में हो रहे औरतों पर अत्यचार और कुकर्मो के स्वरूप ये भारतीय संस्कृति की अनूठी चित्रण है जिसके मूल उद्देश्य को तो लोग भूल चुके है और उनके अनेक स्वरूप को प्रस्तुत करते है जैसे कुछ लोग डांडिया शब्द के अक्षरों मे बदलाव करके गंदे अर्थ निकलते है तो कुछ लोग इसमे होने वाले नृत्य को गंदे गाने और विचित्र वेश भूसा से इसे बदनाम कर रखा है जो कि समाज के लिए बहुत ही दयनीय है ।
डांडिया बस भारत तक ही सीमित नही है ये मुस्लिम और क्रिशचन राष्ट्र में भी बहुत ही प्रचलित नृत्य है जैसे पाकिस्तान इंडोनेशिया यूरोप और अफ्रीका इत्यादि ।
Dandiya In Pakistan
Total courtesy _ Wikipedia
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